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ओली-प्रचंड में तनातनी बढ़ी, पार्टी में टूट के आसार

Edited By Priyesh Mishra |
पीटीआई | Updated:
पीएम ओली और प्रचंड
हाइलाइट्स
- नेपाल के पीएम ओली और पार्टी के सह अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच नहीं बनी बात, तनाव चरम पर पहुंचा
- प्रचंड ने पार्टी कार्यकर्ताओं से सबसे खराब स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया
- एक आदमी एक पद फार्मूले से सहमत नहीं ओली, 10 बैठकों के बावजूद नहीं निकला कोई समाधान
काठमांडू
नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी में जारी सियासी गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्हें सबसे खराब परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है। खबर आ रही है कि नेपाली कैबिनेट में सत्ता बटवारे को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और प्रचंड के बीच वार्ता फेल हो गई है।
10 बैठकों में भी नहीं निकला कोई हल
ओली और प्रचंड ने आपसी विवाद को सुलझाने के लिए कम से कम 10 बैठकें की। इस दौरान पार्टी की ओर से सुझाए गए ‚वन मैन-वन पोस्ट‘ की नीति को पीएम ओली ने मानने से इनकार कर दिया जिसके कारण यह वार्ता विफल हो गई। बता दें कि केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष भी हैं।
प्रचंड ने मांगा पीएम ओली का इस्तीफा
प्रचंड ने कई बार खुलेआम पीएम ओली की आलोचना करते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की है। प्रचंड ने ओली की भारत विरोधी टिप्णियों पर भी कड़ा एतराज जताया था। उन्होंने इन टिप्णियों को न तो राजनीतिक रूप से सही माना था और न ही कूटनीतिक रूप से। पार्टी में ओली के विरोधी उनकी निरंकुश कार्यशैली के भी खिलाफ हैं।
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प्रचंड बोले- सत्ता पाना मकसद नहीं
प्रचंड ने कहा कि हमारी प्रमुख चिंता सत्ता पाना नहीं है। हम चाहते हैं कि पार्टी को चलाते समय उचित प्रक्रिया का पालन हो। हमें किसी पद का लालच नहीं है, हमारी लड़ाई पार्टी में विकसित हो रही गलत प्रवृतियों के बारे में है। प्रचंड ने माधव नेपाल, झलनाथ खनाल और पार्टी प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ के साथ मीडिया को भी संबोधित किया।
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ओली पर पार्टी की छवि बिगाड़ने का आरोप
असंतुष्ट नेताओं के गुट का आरोप है कि ओली पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की छवि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। प्रचंड और नेपाल का दावा है कि केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्यों ने बहुमत से ओली के विरोध का समर्थन किया है।
चीनी राजदूत के इशारे पर तनाव बढ़ा रहे ओली
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नेपाल में मचे सियासी घमासान को लेकर पीएम ओली सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भारत के ऊपर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। वहीं, खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं।
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सूत्रों का कहना है कि नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है। खुफिया सूत्रों ने कहा कि हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणादायक कारक रही हैं। यानी नेपाल जो भारत के कालापानी और लिपुलेख को अपने नक्शे में दर्शा रहा है, उसके पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है।
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पाकिस्तान में 3 साल तक काम कर चुकीं होउ का ओली के कार्यालय और निवास में अक्सर आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायता कर रहा था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था। चीन के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है।
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एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यही नहीं बताया जा रहा है कि चीनी राजदूत कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक मतभेदों को दूर करने में भी लगी हुई हैं। नेपाल में जारी इस शह और मात के खेल में किसकी जीत होगी, यह देखना अब बेहद दिलचस्प होगा।
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ओली ने पिछले दिनों भारत की ओर इशारा करते हुए दावा किया था कि काठमांडू के एक होटल में उन्हें हटाने के लिए बैठकें की जा रही है और इसमें एक दूतावास भी सक्रिय है। उन्होंने दावा किया कि कालापानी और लिपुलेख को नेपाली नक्शे में दिखाने वाले संविधान संशोधन के बाद से उनके खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। ओली ने आरोप लगाया कि उन्हें पद से हटाने के लिए खुली दौड़ हो रही है।
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बिना किसी सबूत के भारत पर इतने गंभीर आरोप लगाने के बाद अब ओली खुद ही अपनी पार्टी में घिर गए हैं। प्रचंड ने कहा कि भारत ने नहीं बल्कि उन्होंने ओली के इस्तीफे की मांग की है। प्रचंड ने कहा कि ओली न केवल प्रधानमंत्री के पद से बल्कि पार्टी अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दें।
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नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में यह भी चर्चा है कि ओली अपने खिलाफ बन रहे मोर्चाबंदी को तोड़ने के लिए पार्टी के अंदर ही टूट करा सकते हैं। पार्टी के अंदर चल रही इस कलह से बेफिक्र केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ जहर उगलने में लगे हुए हैं। ओली के इस भारत विरोध और अतिआत्मविश्वास के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल, भारतीय खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर ये सभी कदम उठा रहे हैं।
ओली ने एक गुमनाम पार्टी का कराया रजिस्ट्रेशन
प्रचंड ने यह भी आरोप लगाया कि जब स्थायी समिति की बैठक हो रही थी तब प्रधानमंत्री ओली के निर्देश पर पार्टी तोड़ने के उद्देश्य से किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर निर्वाचन आयोग में एक और पार्टी का पंजीकरण कराया गया। प्रचंड ने कहा कि यदि एक अध्यक्ष पार्टी की प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे तो पार्टी की एकता कैसे कायम रहेगी। प्रचंड ने दावा किया कि वह और पार्टी के अन्य नेता पार्टी को टूटने से बचाना चाहते हैं।